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फ्रांस में बढ़ेगी रिटायरमेंट की आयु, प्रस्ताव के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग, हिंसक हुए विरोध प्रदर्शन

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विरोध-प्रदर्शन के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी नेशनल असेंबली के पास एक नवीनीकृत स्थल पर चढ़ गए, जिन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। इस दौरान, प्रदर्शनकारियों ने आतिशबाजी की और पुलिस पर पथराव किया। ज्यादातर विरोध-प्रदर्शन पेरिस और उसके आसपास के शहरों में हुए।

पेरिस। फ्रांस में सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाए जाने के प्रस्ताव के खिलाफ दो दिन से जारी विरोध-प्रदर्शन शुक्रवार को हिंसक हो गए।
पेरिस और अन्य शहरों में सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों ने सांसदों पर राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की सरकार को हटाने का दबाव डालने की कोशिश की।

प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न ने बृहस्पतिवार को विशेष शक्तियों का उपयोग करते हुए सेवानिवृत्ति की आयु 62 से बढ़ाकर 64 करने संबंधी विधेयक पर निचले सदन नेशनल असेंबली में मतदान को रोक दिया था, जिसके बाद सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। अविश्वास प्रस्ताव पर सोमवार को मतदान होगा।

विरोध-प्रदर्शन के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी नेशनल असेंबली के पास एक नवीनीकृत स्थल पर चढ़ गए, जिन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। इस दौरान, प्रदर्शनकारियों ने आतिशबाजी की और पुलिस पर पथराव किया।
ज्यादातर विरोध-प्रदर्शन पेरिस और उसके आसपास के शहरों में हुए। बोर्डियोक्स में विरोध मार्च, जबकि तूलूस में रैली निकाली गई।
कैलिस में पत्तन अधिकारियों ने डोवर जाने के लिए जहाजों के इंग्लिश चैनल पार करने पर अस्थाई रोक लगा दी है। पेरिस में कुछ विश्वविद्यालय बंद कर दिए गए हैं और प्रदर्शनकारियों ने राजधानी के आसपास भारी यातायात वाले रिंग रोड को जाम कर दिया है।

दरअसल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न को विशेष संवैधानिक शक्ति का उपयोग करने का आदेश दिया था। उनके इस आदेश के बाद संसद को सेवानिवृत्ति की आयु 62 से बढ़ाकर 64 करने के अति विवादित विधेयक को बिना मतदान के मंजूरी देने के लिए विवश किया गया था।
इस विधेयक को संसद में मतदान अन्यथा राष्ट्रपति की विशेष शक्तियों के माध्यम से कानूनी रूप दिया जा सकता है। ऐसे में संसदीय मतदान में बहुमत नहीं मिलने की आशंका के बीच मैक्रों ने अपनी शक्तियों के इस्तेमाल का फैसला लिया।

इस फैसले के बाद अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे निचले सदन में बहुमत से पारित कराने की आवश्यकता होगी।
यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो 1962 के बाद पारित होने वाले यह पहला अविश्वास प्रस्ताव होगा और सरकार को इस्तीफा देना पड़ेगा।
यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं होता है, तो पेंशन विधेयक को पारित माना जाएगा।

फ्रांसीसी संसद के उच्च सदन सीनेट ने बृहस्पतिवार को सेवानिवृत्ति संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी थी। इसके पक्ष में 193, जबकि विरोध में 114 वोट पड़े थे। यह उम्मीद पहले से ही की जा रही थी, क्योंकि बदलावों का समर्थन कर रही कंजरवेटिव पार्टी को उच्च सदन में बहुमत हासिल है।
मैक्रों सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने पक्ष में हैं। उन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल में पेंशन बदलावों को मुख्य प्राथमिकताओं में रखा है।

मैक्रों फ्रांस की अर्थव्यवस्था को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के अपने दृष्टिकोण के मद्देनजर पेंशन बदलावों वाले इस विधेयक को आगे बढ़ाना चाहते हैं। दूसरी ओर, वामपंथी और दक्षिणपंथी सांसद इसका विरोध कर रहे हैं, जबकि कजंरवेटिव सांसद इसे लेकर बंटे हुए हैं।

Disclaimer:प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



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