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योगी सरकार के हालिया निर्णय ने धर्मनिरपेक्ष दलों के चेहरों से नकाब हटा दिया

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योगी सरकार ने आगामी 22 मार्च से 30 मार्च तक दुर्गा मंदिरों और शक्तिपीठों में दुर्गा सप्तशती के पाठ, देवी जागरण व गायन के कार्यक्रम कराने का आदेश तो जारी किया ही है साथ ही अष्टमी और श्रीरामनवमी के दिन अखंड रामायण का पाठ कराने का आदेश भी जारी किया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के एक निर्णय से छद्म धर्मनिरपेक्ष दल बहुत बेचैन और व्यग्र हैं। चिंता में हैं कि अब उनकी तुष्टिकरण की राजनीति का क्या होगा ? प्रदेश की राजनीति में अभी तक कहा जाता रहा है कि दिवंगत सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव चरखा दांव लगाया करते थे लेकिन इस बार असली चरखा दांव योगी आदित्यनाथ जी ने चल दिया है और मुस्लिम तुष्टिकरण तथा जातिवादी नेताओं को चित्त कर दिया है। जो लोग रामचरित मानस जैसे दिव्य व पवित्र ग्रंथ की कुछ चौपाईयों का गलत अर्थ निकाल कर हिंदू समाज में जातिभेद व विवाद उत्पन्न कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का प्रयास कर रहे थे अब सकते में हैं। ये लोग यह सोच रहे थे कि प्रदेश में भगवा लहर को सनातन धर्म और सनातन संस्कृति के आस्था के केंद्र और धर्मग्रंथों का दुष्प्रचार करके और प्रदेश की सामाजिक समरसता का वातावरण दूषित करके रोका जा सकता है।

प्रदेश सरकार ने आगामी 22 मार्च से 30 मार्च तक दुर्गा मंदिरों और शक्तिपीठों में दुर्गा सप्तशती के पाठ, देवी जागरण व गायन के कार्यक्रम कराने का आदेश तो जारी किया ही है साथ ही अष्टमी और श्रीरामनवमी के दिन अखंड रामायण का पाठ कराने का आदेश भी जारी किया है। नवरात्रि के पावन अवसर पर इन कार्यक्रमों में महिलाओं एवं बालिकाओं सहित जनसहभगिता को बढ़ाने पर बल दिया गया है। इन सभी कार्यक्रमों के अवसर पर मंदिर परिसरों में विकास कार्यों एवं बुनियादी सुविधाओं की होर्डिंग भी लगेंगी। इन आयोजनों को भव्यता प्रदान करने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति चयनित देवी मंदिरों, शक्तिपीठों में कलाकारों के माध्यम से कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। प्रदेश में पहली बार प्रशासन स्तर पर देवी मंदिरों एवं शक्तिपीठों में ऐसे कार्यक्रम आयोजित होने जा रहे हैं।

वर्तमान परिदृश्य में समाजिक व राजनीतिक दृष्टिकोण से यह आयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अभी तक प्रदेश में जितनी भी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकारें रहीं उनके कार्यकाल में केवल और केवल मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का विकृत दौर ही देखा गया है। सर्वाधिक आश्चर्य की बात यह है कि सरकार के इस निर्णय का आज वही दल विरोध कर रहे हैं जिनके कार्यकाल में राजभवन व मुख्यमंत्री आवास रोजा इफ्तार का केंद्र बन जाते थे। आज समाजवादी दल जो सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही है उसी के कार्यकाल में कब्रिस्तानों के निर्माण के लिए 1200 करोड़ रुपये जारी हुए थे, मंदिरों में रामायण पाठ का विरोध वो लोग कर रहे हैं जिन्होंने या तो भगवान राम को काल्पनिक बता रखा है या रामचरित मानस का अपमान किया है। यह वही लोग हैं जिनके मुखिया दिवंगत मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में निहत्थे राम भक्तों का नरसंहार किया था।

सरकार के निर्णय का आदेश आने के बाद समाजवादी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर जहरीला बयान दिया कि अब, जब आम जनमानस ने स्वतः रामचरित मानस का पाठ करना बंद कर दिया है तब सकरार अपने धन से मंदिरों में रामायण पाठ कराने जा रही है। स्वामी प्रसाद का यह बयान बहुत ही विकृत व झूठा है। स्वामी प्रसाद का बयान कि, “इस प्रकार का आयोजन महिलाओं, दलितों, पिछड़ों का अपमान है” बहुत ही मूर्खतापूर्ण व राजनैतिक ईर्ष्यावश दिया गया बयान है। तथ्य यह है कि आज प्रदेश की राजनीति में स्वामी प्रसाद जैसे तथाकथित जातिवादी राजनैतिक नेताओं को कोई कोई भाव नहीं दिया जा रहा है। स्वामी प्रसाद जैसे नेताओं को यह पता ही नहीं है कि जब से उन्होंने रामचरित मानस का झूठा विमर्श गढ़ा है तब से हिंदू समाज ही नहीं अन्य विद्वान व नागरकि वर्ग भी रामचिरत मानस को एक बार फिर पढ़ रहा है। गीता प्रेस जो रामचरित मानस के प्रकाशन और विपणन का प्रमुख संसथान है, उसके अनुसार स्वामी प्रसाद मौर्या के मानस विरोधी कृत्य के पश्चात् मानस की बिक्री में वृद्धि हुयी है। विगत दिनों दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेले में भी लोगों ने रामचरित मानस में रुचि दिखाई और पहले ही दिन दो सौ से अधिक प्रतियां बिक गयीं।

समाजवादी दल के सभी मुस्लिम सांसद, मुस्लिम लीग, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी व एआईएएम भी सरकार के निर्णय का कड़ा विरोध कर रहे हैं तथा सरकार से सवाल कर रहे हैं कि आप रमजान में मुस्लिम समाज के लिए क्या कर रहे हैं? इन तथाकथित दलों की नजर में यह संविधान विरोधी कदम है। सपा मुखिया बयान दे रहे हैं कि यह रकम तो बहुत कम है अपितु इस काम के लिए सरकार को कम से कम दस करोड़ देने चाहिए थे।

भाजपा सरकार की ओर से मंत्री जयवीर सिंह का बयान आया है कि सरकार भारतीय संस्कृति व परम्पराओं को आगे बढ़ाने के लिए इस प्रकार के कदम उठाती रहेगी साथ ही अगर आवश्यकता पड़ी तो ऐसे आयोजनों के लिए सरकार और अधिक धन राशि जारी करेगी। प्रदेश सरकार ने इस प्रकार का आयोजन करके हिंदू समाज को एक बहुत बड़ा उपहार दिया है और वह भी उस समय जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण तीव्र गति से चल रहा है।

योगी सरकार ने अपने इस कदम से अनेक लक्ष्यों पर सटीक निशाना साधा है। योगी जी के इस दांव से भाजपा यह सिद्ध करने में सफल हो रही है कि सभी धर्मनिरपेक्ष विरोधी दल असल में हिंदू विरोधी हैं। यह सभी दल सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर जो ऐतिहासिक फैसला सुनाया है उसे मन ही मन पचा नहीं पा रहे हैं। आगामी एक जनवरी को राम मंदिर का भव्य उद्घाटन होने के साथ ही इन दलों का राजनीतिक भविष्य ही अंधकारमय होने जा रहा है, यही कारण है कि यह दल पूरी ताकत के साथ एक बार फिर हिंदू समाज व संस्कृति पर कुठाराघात कर रहे हैं। योगी जी ने विधानसभा सत्र में ही रामचरित मानस और उसकी पवित्रता पर अपनी स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट कर दी थी।

योगी जी ने शानदार राजनैतिक कौशल दिखाते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव को भी अब धर्म की पिच पर खेलने के लिए मजबूर कर दिया है। यह तय है कि अखिलेश यादव की परेशानियां और अधिक बढ़ने वाली हैं। अखिलेश यादव सरकार के फैसले का खुलकर विरोध तो नहीं कर पाये लेकिन अपनी पार्टी के नेताओं से बयान दिलवाकर वह बुरी तरह से घिरते भी नजर आ रहे हैं। प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद से ही प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा तो दिया ही जा रहा है साथ ही ऐसे निर्णय व आयोजन भी किए जा रहे हैं जिनसे सनातन संस्कृति व परम्पराओं का प्रचार-प्रसार भी हो रहा है। योगी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद से ही प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में अयोध्या में भव्य दीपोत्सव का आयोजन शुरू किया। भव्य दीपोत्सव के आयोजन में दीपों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। काशी में भव्य कॉरिडोर का निर्माण हो चुका है जबकि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि कॉरिडोर का काम शुरू होने जा रहा है। मुख्यमंत्री मथुरा में होली खेलने भी जाते रहे हैं। सावन के महीने में योगी सरकार में कांवड़ियों पर हेलीकाप्टर से पुष्पवर्षा कराती रही है जिसमें स्वयं मुख्यमंत्री भी शामिल होते हैं। एक वह भी समय था जब कांवड़ यात्रियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता था। आज वही लोग रामायण पाठ और दुर्गा सप्तषती पाठ का विरोध कर रहे हैं। प्रदेश सरकार प्रयागराज में माघ मेले का भव्य आयोजन भी कर चुकी है जिसकी प्रशंसा पूरे विश्व में हुई। अब माघ मेला के अवसर पर प्रयागराज में स्नानार्थियों को बेहतर सुविधाएं मिलीं व स्नान करने योग्य गंगा जल भी मिला। 

अब यह बात तो तय हो गई है कि आगामी आने वाले दिनों में प्रदेश सरकार हिंदू सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे आयोजन करवाती रहेगी और कई और बड़े व ऐतिहासिक कदम भी सरकार उठाती रहेगी। सेकुलर दल सरकार के इस कदम का उस समय विरोध कर रहे हैं जब बंगाल की ममता सरकार भी दुर्गा पंडाल को सरकारी सहायता उपलब्ध करा रही है और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल की आप सरकार मस्जिद के इमामों   वेतन दे रही है। आखिर सेकुलरवाद के नाम पर यह दोहरी विकृत राजनीति क्यों चल रही है?

-मृत्युंजय दीक्षित

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