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इस दलील पर न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने सवाल किया कि क्या मौजूदा वाद को दायर करने में विलंब की दलील निचली अदालत में दी गई थी।
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी देवताओं की नियमित पूजा की मांग वाले एक वाद के संबंध में इंतेजामिया कमेटी के अधिवक्ता ने बृहस्पतिवार को दलील दी कि यह वाद परिसीमन से बाधित है, क्योंकि इसे परिसीमन अधिनियम में निर्धारित अवधि से परे दायर किया गया है।
इस दलील पर न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने सवाल किया कि क्या मौजूदा वाद को दायर करने में विलंब की दलील निचली अदालत में दी गई थी।
चूंकि सुनवाई का समय पूरा हो चुका था, अदालत ने सुनवाई के मध्य में ही इस मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार को करने का निर्देश दिया।
अदालत अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अंजुमन इंतेजामिया ने वाराणसी की अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें पांच हिंदू महिलाओं द्वारा दायर वाद की पोषणीयता को लेकर उसकी आपत्ति खारिज कर दी गई थी।
इन पांच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी देवताओं की नियमित पूजा की अनुमति मांगी है।
इससे पूर्व, ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने हिंदू पक्ष के दावे का यह कहते हुए विरोध किया था कि निचली अदालत के समक्ष लंबित वाद, पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत बाधित है जिसमें व्यवस्था दी गई है कि 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी धार्मिक स्थल को बदलने की मांग करते हुए कोई वाद दायर नहीं किया जा सकता।
अंजुमन इंतेजामिया की दलील खारिज करते हुए वाराणसी के जिला जज ने 12 सितंबर को अपने आदेश में कहा था कि यह वाद पूजा स्थल अधिनियम, वक्फ अधिनियम 1995 और यूपी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम, 1983 से बाधित नहीं होता।
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