प्रमुख उर्वरक कंपनी इफको लिमिटेड की निगाह 25 देशों को नैनो यूरिया निर्यात करने पर है और उसे उम्मीद है कि दिसंबर 2024 तक उत्पादन 30 करोड़ बोतल हो जायेगी।
प्रमुख उर्वरक कंपनी इफको लिमिटेड की निगाह 25 देशों को नैनो यूरिया निर्यात करने पर है और उसे उम्मीद है कि दिसंबर 2024 तक उत्पादन 30 करोड़ बोतल हो जायेगी। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में कंपनी पांच देशों को इस उर्वरक का निर्यात कर रही है।
भारतीय सहकारी किसान उर्वरक कंपनी (इफको) के प्रबंध निदेशक यूएस अवस्थी ने पीटीआई-से बातचीत में कहा, ‘‘हम पहले ही 500 मिलीलीटर की छह करोड़ बोतलों का उत्पादन कर चुके हैं और किसानों को पांच करोड़ यूनिट बेच चुके हैं, जो 22 लाख टन ठोस यूरिया या पारंपरिक यूरिया के बराबर है … हम पहले से ही श्रीलंका, नेपाल, केन्या, सूरीनाम और मेक्सिको जैसे देशों को निर्यात कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले साल गुजरात के कलोल में दुनिया के पहले नैनो यूरिया संयंत्र का उद्घाटन करने के बाद, कंपनी उर्वरक उत्पाद का निर्यात पांच देशों को कर रही है। इस नैनो यूरिया में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक यूरिया (इस नाइट्रोजन उर्वरक) के उपयोग में 50 प्रतिशत या उससे भी अधिक की कटौती करने की क्षमताहै।
अवस्थी ने कहा, ‘‘नैनो यूरिया के नमूने 25 अन्य देशों को भेजे गए हैं और हम इन देशों से मांग की उम्मीद कर रहे हैं … ब्राजील ने पहले ही आधिकारिक मान्यता दे दी है और कई अन्य देश हैं जो अनुमोदन प्रदान करने की प्रक्रिया में हैं।’’
उन्होंने कहा कि दिसंबर 2024 तक झारखंड में पांचवें नैनो यूरिया संयंत्र के चालू होने के बाद उत्पादन 30 करोड़ बोतल तक पहुंच जाएगा।
अधिकारी ने कहा, ‘‘दिसंबर 2024 तक इफको नैनो यूरिया की 30 करोड़ बोतलों का उत्पादन करेगी, जो 135 लाख टन पारंपरिक यूरिया के बराबर है। इससे यूरिया उर्वरक के सभी आयातों को रोकने में मदद मिलेगी और विदेशी मुद्रा की भारी बचत होगी।’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि यह उत्पाद ‘‘शून्य नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन के साथ पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल’’ है।
अवस्थी ने कहा कि गुजरात के संयंत्र के अलावा, दो संयंत्र उत्तर प्रदेश में बरेली और प्रयागराज के पास और स्थापित किए गए हैं और बैंगलोर में निर्मित चौथी इकाई के इस साल सितंबर में चालू होने की संभावना है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 4 फरवरी को झारखंड के देवघर में 30 एकड़ जमीन पर 450 करोड़ रुपये के नैनो यूरिया संयंत्र और इफको के टाउनशिप की आधारशिला रखी थी।
नैनो यूरिया (तरल) की 500 मिलीलीटर की बोतल प्रभावी रूप से 45 किलोग्राम यूरिया की जगह ले सकती है और यह 16 प्रतिशत सस्ता है।
नैनो यूरिया से फसल उत्पादकता, मिट्टी के स्वास्थ्य और उपज की पोषण गुणवत्ता में सुधार और पारंपरिक उर्वरक के ‘असंतुलित और अत्यधिक उपयोग’ जैसी समस्याएं दूर होने की उम्मीद है।
अधिकारी ने यह भी दावा किया कि पत्तियों पर नैनो यूरिया कणों के छिड़काव से उच्च उपज होती है और इसलिए मिट्टी दूषित नहीं होती है।
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